प्रेम सत्संग सुधा माला
24) इसके बाद भी एक अत्यन्त सुन्दर आभूषण हैं; उसको। 25) बाँह के पास भी सुन्दर आभूषण हैं; उन्हें। 26) पैर साड़ी से ढका है, यह। 27) मुखारविन्द शोभा पा रहा है, यह। 28) सिर पर चन्द्रिका है, उसे। 29) चन्द्रिका में मोती की झालर लटक रही है, उसे। 30) ललाट पर सुन्दर कुंकुम का गोल लाल बिन्दु है, उसे। 31) सिर के पास अंचल कुछ बायीं ओर ऊपर चढ़ गया है, उसे। 32) श्यामसुन्दर उनके दाहिनी ओर हैं, उन्हें। 33) सिर पर मोर-मुकुट है, उसे। 34) बड़ा ही सुन्दर मुख है, इस झाँकी को। 35) आँखें बड़ी-बड़ी हैं, उस सौन्दर्य को। 36) आँखें नीचे की ओर हैं, इस लावण्य को। 37) अलकावलि कुछ बिखरी हुई मुख पर आ गयी है, इस झाँकी को। 38) दुपट्टा दोनों कंधों पर लटक रहा है, यह। 39) दोनों हाथों से एक तागे में फूल पिरो रहे हैं, यह। 40) श्रीप्रियाजी भी दोनों हाथों से फूल पिरो रही हैं, इस मनोहर दृश्य को। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज