प्रेम मंदिर
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विवरण | प्रेम मंदिर मथुरा ज़िले की प्रसिद्ध नगरी वृंदावन में स्थित है। जाति, वर्ण और देश का भेद मिटाकर पूरे विश्व में प्रेम की सर्वोच्च सत्ता क़ायम करने के लिए प्रेम मंदिर का निर्माण करवाया गया। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
स्वामित्व | कृपालु महाराज |
निर्माण काल | 14 जनवरी, 2001-17 फ़रवरी, 2012 |
स्थापना | 14 जनवरी, 2001 |
प्रसिद्धि | धार्मिक स्थल |
कब जाएँ | कभी भी |
बस, कार, ऑटो आदि | |
क्या देखें | श्रीराधा कृष्ण की मनोहर झांकियाँ, श्रीगोवर्धन धारण लीला, कालिया नाग दमन लीला, झूलन लीलाएँ, बाँके बिहारी मंदिर आदि। |
कहाँ ठहरें | होटल तथा धर्मशालाएँ आदि। |
एस.टी.डी. कोड | 0565 |
संबंधित लेख | मथुरा, गोवर्धन, बाँके बिहारी मंदिर, कृष्ण, वृन्दावन, राधा, कृपालु महाराज, छटीकरा आदि। |
अन्य जानकारी | प्रेम मंदिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। इसके मुख्य प्रवेश द्वारों पर अष्ट मयूरों के नक़्क़ाशीदार तोरण बनाए गए हैं। |
अद्यतन | 04:02, 19 जुलाई 2016 |
प्रेम मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले की प्रसिद्ध नगरी वृंदावन में बना आधुनिक मन्दिर है। जिसका 17 फ़रवरी, 2012 को लोकार्पण हुआ। जाति, वर्ण और देश का भेद मिटाकर पूरे विश्व में प्रेम की सर्वोच्च सत्ता क़ायम करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी की दिव्य प्रेम लीलाओं की साक्षी वृंदावन नगरी में प्रेम मंदिर का निर्माण करवाया गया है।
स्थापना
इस मंदिर का निर्माण कृपालु जी महाराज ने करवाया था। 14 जनवरी, 2001 को उन्होंने लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्रेम मंदिर का शिलान्यास किया था। उसी दिन से राजस्थान और उत्तर प्रदेश के क़रीब एक हज़ार शिल्पकार अपने हज़ारों श्रमिकों के साथ प्रेम मंदिर को गढ़ने में जुटे थे और 11 साल बाद यह साकार होकर सामने आया। इस मन्दिर के निर्माण में क़रीब 100 करोड़ रुपये की धनराशि का व्यय हुआ। कृपालु जी महाराज का कहना है कि जब तक विश्व में प्रेम की सत्ता सर्वोच्च स्थान हासिल नहीं करेगी, विश्व का आध्यात्मिक कल्याण सम्भव नहीं है।
स्थापत्य कला
भव्य युगल विहारालय-प्रेम मंदिर 11 साल के श्रम के बाद बनकर तैयार हुआ। इसे सफेद इटालियन संगमरमर से तराशा गया है। 54 एकड़ में निर्मित यह प्रेम मंदिर 125 फुट ऊंचा, 122 फुट लम्बा और 115 फुट चौड़ा है। इसमें ख़ूबसूरत उद्यानों के बीच फ़व्वारे, श्रीराधा कृष्ण की मनोहर झांकियाँ, श्रीगोवर्धन धारण लीला, कालिया नाग दमन लीला, झूलन लीलाएं सुसज्जित की गई हैं।
वास्तुकला
प्रेम मंदिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। दिव्य प्रेम का संदेश देने वाले इस मंदिर के द्वार सभी दिशाओं में खुलते हैं। मुख्य प्रवेश द्वारों पर अष्ट मयूरों के नक़्क़ाशीदार तोरण बनाए गए हैं। पूरे मंदिर की बाहरी दीवारों पर श्रीराधा और कृष्ण की लीलाओं को शिल्पकारों ने मूर्त रूप दिया गया है। पूरे मंदिर में 94 कलामंडित स्तम्भ हैं, जिसमें किंकिरी व मंजरी सखियों के विग्रह दर्शाए गए हैं। गर्भगृह के अंदर व बाहर प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हुई नक़्क़ाशी व पच्चीकारी सभी को मोहित करती है। यहाँ संगमरमर की चिकनी स्लेटों पर 'राधा गोविंद गीत' के सरल व सारगर्भित दोहे प्रस्तुत किए गए हैं, जो भक्तियोग से भगवद प्राप्ति के सरल व वेदसम्मत मार्ग प्रतिपादित करते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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