प्रिया-प्रीतम दो‌उ करत किलोल -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

Prev.png
राग बिहाग - तीन ताल


प्रिया-प्रीतम दो‌उ करत किलोल।
रूप-‌उजागर नागरि-नागर बोलत मधुरे बोल॥
हास-बिलास करत दो‌उ रसमय, प्रीति न हि‌एँ समात।
श्रमित, हार नहिं मानत को‌ऊ, करत मधुर दो‌उ घात॥
निभृत निकुंज पुंज-सुख-माधुरि रस-स्वामिनि-रसराज।
तन-मन-प्रान अभेद, अलौकिक क्रीडत नित नव साज॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः