विषय सूची
पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व
राग माँड़ - ताल कहरवा
प्रेम के आठ स्तर
भाव प्रान-त्याग हू तैं कठिन दुःख तुच्छ जब होय। महाभाव भाव सिखर जब उच्चतम पहुँचत सहजहिं जाय। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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