पहिलै प्रीति करि कहा पोच लागे करन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


(पहिलै) प्रीति करि कहा पोच लागे करन।
ऊधौ कमलनयन सौं कहियौ, गोवरधन की धरन।।
अब दै विरह अनल लगे बारन, तब न दई दौ जरन।
सकट विपति परे पर राखे, लई प्रीति करि सरन।।
तुम्हरी बालदसा ब्रजनायक सुमिरि सुमिरि अति झुरन।
‘सूरज’ स्याम प्रान अब तजिहौ, बेगि दिखावहु चरन।।4012।।

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