पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग पीलू


पग घुँघरू बाँध मीरा नाची, रे ।। टेक ।।
मैं तो मेरे नारायण की, आपहि होगइ दासी, रे ।
लोग कहें मीरा भई बावरी, न्‍यात कहैं कुल नासी, रे ।
बिष का प्‍याला राणाजी भेज्‍या, पीवत मीरा हांसी, रे ।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी, रे ।।39।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पग = पैरों में। मेरे = अपने। नारायण = प्रियतम कृष्ण। आपहि = स्वयं, अपनी। न्यात = नातेदार, संबंधी। कुलनासी = कुल में कलंक लगाने वाली। हाँसी = हँसी, प्रसन्न रही। सहज = सुगमता के साथ।

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