नैन गए री अति अकुलात -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिहागरौ


नैन गए री अति अकुलात।
ज्यौ धावत जल नीचै मारग, कहूँ नही ठहरात।।
कहा कहो ऐसी आतुरता, पवन बस्य ज्यौ पात।
ज्यौ आऐ रितुराज सखी री, बेलि द्रुमनि भहरात।।
आइ बसी ऐसो जिय उनकै, मै व्याकुल पछितात।
'सूरदास' कैसेहुँ नहिं बहुरे, गीधे स्यामल गात।।2329।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः