नैन गए न फिरे री माई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिहागरौ


नैन गए न फिरे री माई।
ज्यौ मरजादा जाइ सुपत की, बहुरयौ फेरि न आई।।
ज्यौ बालापन बहुरि न आवै फिरे नही तरुनाई।
ज्यौ जल ढरत फिरत नहिं, पाछै, आगै आगै जाई।।
ज्यौ कुलबधू बाहिरी परि कै, कुल मै फिरि न समाई।
वैसी दसा भई इनहूँ की, 'सूर' स्याम सरनाई।।2316।।

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