नैन उनीदे भए रँगराते।
मनहुँ सुरंग सुमन पर सजनी, फिरत भृंग मदमाते।।
प्रेमपराग, पाँखुरी पलदल, प्रफुलित मदनलता तै।
सुभग सुदास विलासबिलोकनि, प्रगट प्रीति करी तातै।।
तैसोइ मारुत मद जम्हावरि मिलित, मुदित छबि यातै।
सींचे 'सूर' स्याम मानिनि कर, हित सौ केलि कला तै।।2685।।