नैना पंकज पंक खचे -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

Prev.png
राग सारंग
नैन समय के पद





नैना पंकज पंक खचे।
मोहनमदन स्याममुख निरखत, भ्रुवनि विलास रचे।।
बोलनि हँसनि विराजमान अति स्रुति अवतंस सचे।
जनु पिनाक की ह्रास लागि, सारँग ससि सरन बचे।।
चँद चकोर चातक ज्यौ जलधर हरि पर हरषि लचे।
पुहुप बास लै मधुप सैल बन घन करि भवन रचे।।
पर प्रीति कै कुंड महागज काढत बहुत पचे।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस कौ मज्जन हेत सचे।। 84 ।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः