नीले नीले बादल असाढ़ सावन -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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नीले नीले बादल असाढ़ सावन के आए उनय गगन धुरि गाढ़े।
बन रमनीक भूमि हरियारी सोहै सर सरितनि जल बाढ़े।।
दादुर मोर पपीहा बोलत चहुँ दिसि सकल चाय अति चाढ़े।
महुअर बेनु बिषान बजावत गावत ग्वाल सकल सँग ठाढ़े।।
मंद पवन बहै मंद बूँदकन झूमि रहे झरके बर बाढ़े।
'सूरदास' प्रभु धेनु चरावत जमुना के कान्ह करारनि ठाढ़े।। 110 ।।

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