नागरि नागर करत बिहार -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग विहागरौ


नागरि नागर करत बिहार।
काम नृपति सैना दुहुँ अगनि, सोभा वार न पार।।
अधर अधर, नैननि नैननि, ध्रुव भाल कियौ इक ठौर।
मनु इढिवर कमल कुसेसय, चारि भँवर रँग और।।
बदन भाल चिह्न सन दोऊ, अरस परम वर नारि।
मनु बिबि चंद चकोर परस्पर, कमल अरुन रवि धारि।।
रति आगम हित अति उपजायौ, पिय प्यारी मन एक।
'सूरदास' स्वामी स्वामिनि मिलि, कोककलानि अनेक।।2032।।

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