नवद्वीप पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ है। श्रीचैतन्य महाप्रभु की जन्मभूमि होने से नवद्वीप गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय का महातीर्थ है। इतना महत्त्व दूसरे किसी आचार्य के जन्मस्थल को प्राप्त नहीं है।
मार्ग स्थिति
हबड़ा से 66 मील दूर नवद्वीप धाम स्टेशन है। स्टेशन से नगर एक मील दूर है। यहाँ भजनाश्रम में यात्रियों के ठहरने की सुविधा है।
अन्य मंदिर एवं दर्शनीय स्थल
नवद्वीप के अधिकांश मंदिरों में यात्री को निश्चित दक्षिणा देकर प्रवेश मिलता है। ऐसे बहुत से मंदिरों में श्रीचैतन्य महाप्रभु की लीलाओं की मिट्टी की मूर्तियाँ सजाई रखी है। उनकी पूजा नहीं होती। यात्री उनके दर्शन कर आता है। यहाँ का मुख्य मंदिर श्रीगौरांग महाप्रभु का मंदिर है। कहा जाता है कि यह श्रीविग्रह श्रीविष्णुप्रियाजी द्वारा प्रतिष्ठित है। श्रीअद्वैताचार्य मंदिर, श्रीगौर गोविंद मंदिर, श्रीशचोमाता विष्णुप्रिया मंदिर, जगाई मधाई उद्धार, श्रीगदाधर-आंगन, नन्दन आचार्य के घर नित्यानन्द मिलन, गुप्तवृन्दावन, श्रीगौरांगजन्म लीला, श्रीगौरांग बाललीला, श्रीगोरांग विवाह लीला, महाप्रभु की ढोल बाड़ी, श्री नित्यानंद प्रभु और हरिसभा आदि। इन सबमें मिट्टी की मूर्तियाँ सजाई गई हैं।
सोनार गोरांग मंदिर में महाप्रभु की स्वर्ण मूर्ति है। षड़भुज गौरांग, गौरांग-विश्वरूप तथा श्रीवास प्रांगण के अतिरिक्त निम्न मंदिर हैं जिनमें यात्री को दक्षिणा नहीं देनी पड़ती। नवद्वीप की अधीश्वरी पौड़ा माता, सिद्धेश्वर[1], आगमेश्वरी, तुलादेवी, गोविन्द जी का मंदिर, श्रीवृंदावनचंद्र, सोनार निताई गौर, श्रीसीताराम, श्रीगौर-विष्णुप्रिया और नृसिंह मंदिर।
मायापुर- गौड़ीयमठ के संस्थापक श्रीभक्ति विनोद ठाकुर के मत के अनुसार वर्तमान मायापुर ही नवद्वीप है। वर्तमान नवद्वीप धाम तो रामचंद्रपुर है। मायापुर नवद्वीप धाम से गंगापार होकर जाना पड़ता है। यह गौड़ीयमठ का मुख्य स्थान है। वहाँ के दर्शनीय स्थान हैं-
- श्रीयोगपीठ[2]
- श्रीवास आँगन
- अनुकूल कृष्णानुशीलनागार
- श्रीअद्वैत भवन
- श्रीचैतन्यमठ
- मुरारी गुप्त का सीताराम मंदिर और राधा गोविंद मंदिर
- पृथुकुंड या बल्लाल दीपि
- काली की समाधि
- महाप्रभु घाट
- श्रीधर आंगन आदि
नवद्वीप धाम की भाँति यहाँ भी कई मंदिरों में मिट्टी की मूर्तियाँ सजाई रखी हैं और निश्चित दक्षिणा देकर ही उनमें यात्री को प्रवेश मिलता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 77 |
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