नट के वटा भए ये नैन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सोरठी


नट के वटा भए ये नैन।
देखति ही पुनि जात कहाँ धौ, पलक रहत नहिं ऐन।।
स्वाँगी से ये भए रहत है छिनहि और छिन और।
ऐसे जात रहत नहिं रोकै, हमहूँ तै अति दौर।।
गए सु गए गए अब आए, जात लगी नहिं बार।
'सूर' स्याम सुंदरता चाहत, जाकौ वार न पार।।2391।।

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