नंद-सुवन यह बात कहावत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग नट


नंद-सुवन यह बात कहावत।
आपुन जोबन-दान लेत हैं, जोइ सोइ सखनि सिखावत।।
वै दिन भूलि गए हरि तुमकौं, चोरी माखन खाते।
खीझत हीं भरि नैन लेत हे, डरडरात भजि जाते।।
जसुमति जब ऊखल सौ बाँध्यौ, हमहीं छोरयौ जाइ।
सूर स्याम अब बड़े भए हौ, जोबन-दान सुहाइ।।1559।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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