नंदसुत चुपकै माखन खात -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

बाल-माधुरी की झाँकियाँ

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राग आसावरी - तीन ताल


नंदसुत चुपकै माखन खात।
ठाढो चकित चहूँ दिसि चितवत, मंद-मंद मुसुकात॥
मथनी महँ कोमल कर डारे, भाजन की ठहरात।
जो पावत सो लेत ढीठ हठि, नैकहु, नाहिं डरात॥
देखति दूरि ग्वालिनीं ठाढ़ीं, मन धरिबे की घात।
स्याम-ब्रह्म की माधुरि लीला निरखि-निरखि हरषात॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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