मीराँबाई की पदावली
उपालंभ
धूतारा जोगी एकर सूँ हँसि बोल ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धूतारा = धूर्त, वंचक, छली। एकर सूँ = एक बार भी। बदीत = विदित, प्रसिद्ध। करी = की। गुढियाँ खेल = रहस्य का उद्घाटन करदे। म्रिघछाला = मृग चर्म। सदन = सद्यः का, नवीन, ताजा। सरोज = कमल। ऊभी = खडी खडी। जोऊँ = देखती हूँ। कपोल = मुख मंडल। सेली = योगियों के पहनने की चादर। नाद = योगियों के बजाने का सींग, बाजा। बभूत = विभूति, भस्म। बटवो = योगियों का बटुवा वा थैला। अँजू = अब भी। मुनी = मौनी। मुख खोल = बोल। चढ़ती वैस = युवावस्था। अणियाले = अनियारे, तीक्ष्ण। बिनमोल = मुफ्त में ही।
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