धर्मशास्त्र अर्थात वह ग्रंथ, जिसमें समाज के शासन के निमित्त नीति और सदाचार सम्बंधी नियम दिये गए हैं।[1]
- इस विद्या का ज्ञान राजाओं के लिए आवश्यक है।
- सूत इसमें बड़ा निपुण था।[2]
- भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने भी धर्मशास्त्र की शिक्षा ली थी।
- हिन्दुओं के धर्मशास्त्र 'स्मृति' के नाम से प्रसिद्ध हैं, जिनमें सबसे विख्यात 'मनुस्मृति' है। 'प्राजापात्या', 'रौद्री' और 'वैष्णवी' इन तीन तनुओं का इसमें उल्लेख है।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 248 |
- ↑ भागवतपुराण 10.45.34
- ↑ ब्रह्माण्डपुराण 2.33.31; 35.88; 3.3.88; 29.23
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