धन्य नद, धनि जसुमति रानी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग


धन्य नद, धनि जसुमति रानी।
धन्य ग्वाल गोपी जु खिलाए, गोदहि सारँगपानी।।
धनि व्रज भूमि धन्य वृंदावन, जहँ अविनासी आए।
धनि धनि ‘सूर’ आज हमहूँ जो, तुन सब देखे पाए।।4092।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः