दे‌उँ कहा तुम कहँ स्याम सुजान -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति

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राग विहाग - तीन ताल


दे‌उँ कहा तुम कहँ स्याम सुजान!
तुम ही एकमात्र धन मेरे, सरबस-जीवन-प्रान॥
मन मेरौ इक हुतौ मलिन, मल भर्‌यौ दोष-‌आगार।
काम-क्रोध-मोह-मद-ममता कौ पूरौ भंडार॥
सो‌ऊ हरि! तुम ने हरि लीन्हौ, बच्यो न कछु मो पास।
तुम ही बस्तु लैनहारे तुम, तुम ही दाता खास॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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