देह-प्राण, मन-बुद्धि -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


देह-प्राण, मन-बुद्धि, अहं-मम-सभी समर्पणकर मैं आज।
तुमको वरण कर रही केवल, हे वरणीय परम वरराज॥
तुम्हीं सभी कुछ, सब कुछ के सब, मैं नित निष्किञ्चन निस्तत्त्व।
सत्‌‌-सौन्दर्य दानकर तुम ही मुझे सजा लो, हे सर्वस्व॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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