देखन दै पिय बैरिनि पलकैं।
निरखत रूप नंदनंदन कौ बीच परै मनु ब्रज की सलकै।।
बन तै आवत बेनु बजावत गोरजरजित राजति अलकै।
चपल कुँडल अरु चपल अंग बलि ललित कपोलनि मंजुल झलकै।।
ऐसौ मुख देखन कौ सजनी कौन करै सठ लूटि कमल कै।
'सूरदास' प्रभु की गति यह जिय मीन मरै भावै नहि जलकै।। 69 ।।