दूती संग हरि कै रही -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग नटनारायन


दूती संग हरि कै रही।
स्याम अति आधीन ह्वै कै, जोहु तासौ कही।।
बेगि आनि मिलाइ मोकौ, परम प्यारी नारि।
देखि हरितन कामव्याकुल, चली मनहिं बिचारि।।
गई तहँ जहँ करति राधा, अंग अंग सिंगार।
'सूर' के प्रभु नवल-गिरिधर-संग, जानि बिहार।।2606।।

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