दरपन लै कजराहि सँवारत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग टोड़ी


दरपन लै कजराहि सँवारत।
सीस फूल अति लसत नग जरयौ, ता पर सेस सीसमनि वारत।।
करनफूल कर लिऐं सँवारति, बेदी बुंद ललाट सुधारत।
'सूर' स्याम दुरि देखत दरपन, मुख तै इकटक पलक न टारत।।2189।।

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