तोहूँ कौ व्यापी री माई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सोरठ


तोहूँ कौ व्यापी री माई, कहा कहति है सोकौ।।
मै आइ दुख कहन आपनौ तेरे दुख अधिकारी।
जैसै दीन दीन सौ जाँचै, वृथा होइ स्रम भारी।।
मन अपनौ बस कैसेहुँ कीजै, याही तै सचु पावै।
'सूरदास' इंद्रिनि समेत वह, लोचन अबहि मँगावै।।2232।।

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