तेरैं भुजनि बहुत बल होइ कन्हैया।
बार बार भुज देखि तनक से, कहति जसोदा मैया।।
स्याम कहत नहिं भुजा पिरानी, ग्वालनि कियौ सहैया।
लकुटिनि टेकि सबनि मिलि राख्यौ, अरु बाबा नंदरैया।।
मोसौं क्यौं रहतौ गोबरधन, अतिहिं बड़ौ वह भारी।
सूर स्याम यह कहि परबोध्यौ चकित देखि महतारी।।965।।