तुम कहुं देखे स्याम बिसासी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


तुम कहुँ देखे स्याम बिसासी।
तमक बजाइ बाँस की मुरली, लै गए प्रान निकासी।
कबहुँक आगैं, कबहुँक पाछैं, पग-पग भरति उसासी।।
सूर स्याम-दरसन के कारन, निकसीं चंद-कला सी।।1090।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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