मीराँबाई की पदावली
विरह निवेदन
तुम आज्यो जी रामा, आवत आस्याँ सामा ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आवत = आने पर। आस्याँ = आवेंगी, होगी। सामा = मीठी मीठी बात चीत वा शान्ति। मिलियाँ = मिलने से। सरैं = पूर्ण होते हैं। मन के = मन चाहा।
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