तुम आज्‍यो जी रामा -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
विरह निवेदन


तुम आज्‍यो जी रामा, आवत आस्‍याँ सामा ।।टेक।।
तुम मिलियाँ मैं बहु सुख पाऊँ, सरैं मनोरथ कामा ।
तुम बिच हम बिच अंतर नाहीं, जैसे सूरज घामा ।
मीराँ मन के और न माने, चाहे सुन्‍दर स्‍यामा ।।115।।[1]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आवत = आने पर। आस्याँ = आवेंगी, होगी। सामा = मीठी मीठी बात चीत वा शान्ति। मिलियाँ = मिलने से। सरैं = पूर्ण होते हैं। मन के = मन चाहा।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः