तीर्थ संस्कृत शब्द है और इसका अर्थ है पाप से तारने, पार उतारने वाला। पुण्य पाप की भावना सभी धर्मों में हैं। इस भावना का, तीर्थ का अभिप्राय है पुण्य स्थान, अर्थात जो अपने में पुनीत हो और अपने यहाँ आने वालों में भी पवित्रता का संचार कर सके। और ऐसा नहीं है कि भारतीय धर्मों में ही तीर्थ की मान्याता हो। हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिक्ख धर्मों के अलावा ईसाई, इस्लाम, पारसी, यहूदी, ताओ, शिंतो आदि धर्मों में भी तीर्थों की मान्यता है।
- हिन्दू धर्म के कुछ प्रमुख तीर्थ स्थल निम्न हैं-
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