तात गोवर्धन पूजहु जाइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


तात गोवर्धन पूजहु जाइ।
मधु-मेवा-पकवान-मिठाई ब्यंजन बहुत बनाइ।।
इहिं पर्बत तृन ललित मनोहर, सदा चरैं सुख गाइ।
कान्ह कहै सोइ कीजियै भैया, मघवा जाइ रिसाइ।।
भरि भरि सकट चले गिरि सन्मुख अपनैं अपनैं चाइ।
सूरदास प्रभु आपुन भोगी, धरि स्वारुप गिरि राइ।।825।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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