तातैं बिपति-उघारन गायौ।
स्रबननि माखि सुनी भक्तनि मुख, निगमनि भेद बतायो।
सुवा पड़ावत जीभ लड़ावति, ताहिं विमान पठायौ।
चरन-कमल परसत रिपि-पतिनी, तजि पषान, पद पायौ।
सब-हित-कारन देव अभय पद, नाम प्रताप बढ़ायौ।
आरतिवंत सुनत गज-क्रंदन, फंदन काटि छुड़ायो।
पावँ अबार सु धारि रमापति, अजस करत जस पायौ।
सूर कूर कहै मेरी बिरियाँ बिरद कितै बिसरायौ।।188।।
इस पद के अनुवाद के लिए यहाँ क्लिक करें