ऊधौ कहियौ जाइ राधिकहिं2 -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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ताकौ कहा निहोरौ हमकौ, मैं त्रिभंग करि दीन्हौ।।
तुम सब नारि गँवार अहीरी, कहा चातुरी जानौ।
राखि न सकी आपु बस कै तब, अब काहै दुख मानौ।
'सूरदास' प्रभु की ये बातै, ब्रह्म लखै नहिं पारै।
जाके चरन पाइ कै कमला, गति आपनी बिसारै।। 159 ।।

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