तब बोले हरि नंद सौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


तब बोले हरि नंद सौं, मधुरै करि बानी।
गर्ग वचन तुम सौ कहाँ, नहि निहचै जानी।।
मैं आयौ संसार मे, भुवभार उतारन।
तिनकौ तुम धनि धन्य हौ, कीन्हौ प्रतिपारन।।
मातु पिता मेरै नहीं तुमतै अरु कोऊ।
एक वेर व्रज लोग को, मिलिहौ सुनौ सोऊ।।
मिलन हिलन दिन चारि कौ, तुम तौ सब जानौ।
मोकौ तुम अति सुख दियौ, सो कहा बखानौ।।
मथुरा नरनारी सुनै, व्याकुल ब्रजवासी।
'सूर' मधुपुरी आइकै, ये भये अविनासी।।3114।।

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