तंत्र

तंत्र (संस्कृत शब्द, अर्थात तंतु) कुछ हिंदू, बौद्ध या जैन संप्रदायों के रहस्यमय आचरणों से संबंधित कई ग्रंथों में से एक है। हिंदू धार्मिक साहित्य के परंपरागत वर्गीकरण में पुराणों[1] की तरह उत्तर वैदिक संस्कृत ग्रंथों के एक वर्ग को 'तंत्र' कहा जाता है। इस प्रयोग में तंत्र सैद्धांतिक रूप से धर्मशास्त्र, मंदिरों एवं मूर्तियों के निर्माण तथा धार्मिक आचरण के प्रतिपादक हैं, किंतु वास्तव में जादू-टोना, अनुष्ठानों और प्रतीकों जैसे हिंदू धर्म के लोकप्रिय पहलुओं से संबद्ध हैं। हिंदू सांप्रदायिक सारणी के अनुरूप वे शैव आगमों, वैष्णव संहिताओं और शाक्त तंत्रों में विभक्त हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कथाओं, अनुश्रुतियों और अन्य विषयों के मध्य कालीन अतिव्यापक संकलन।

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