तदनन्तर आकाश स्थित -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी

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राग भैरव - ताल कहरवा

देवर्षि नारद

तदनन्तर आकाशस्थित देवर्षिवर्य का करिये ध्यान।
ब्रह्मपुत्र नारद जिनका वपु गौर सुधाकर-शङ्ख-समान॥
सकल आगमों के जाता, विद्युत्-सम पीत जटाधारी।
हरि-चरणाम्बुज में निर्मल रति जिनकी हैं अतिशय प्यारी॥
सर्वसङ्ग का परित्याग कर जो हरिका करते गुण-गान।
नित्य-निरन्तर श्रुतियुत नाना स्वर से स्तुति करते मतिमान॥
विविध ग्रामके ललित मूर्छनागण को जो अभिव्यजित कर।
नित्य प्रसन्न कर रहे हरि को प्रेम-भक्ति-मणि के आकर॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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