तंजौर चित्रकला लोक कला और कहानी-किस्से सुनाने की विस्मृत कला से जुड़ी है। तंजौर की प्रसिद्ध चित्रकारी पारंपरिक कला का ही रूप है। इस कला ने भारत को विश्व मंच पर प्रसिद्धि दिलाने में महती भूमिका निभाई है।
- धार्मिकता से ओतप्रोत और पौराणिक वृत्तांत ही इस चित्रकला के मुख्य विषय रहे हैं।
- कला और शिल्प दोनों का ही एक अच्छा मिश्रित रूप तंजौर की चित्रकारी में दिखाई देता है। चित्रकारी में हिन्दू देवी-देवताओं को ही मुख्य विषय बनाया गया है। तस्वीरें एक विलक्षण रूप में सजीव प्रतीत होती हैं।
- तंजौर चित्रकला का विषय मुख्य रूप से हिन्दू देवता और देवियाँ हैं। श्रीकृष्ण इनके प्रिय देव थे, जिनके विभिन्न मुद्राओं में चित्र बनाए गए हैं, जो उनके जीवन की अवस्थाओं को व्यक्त करते हैं।
- तंजौर चित्रकारी की मुख्य विशेषताएँ उनकी बेहतरीन रंग की सज्जा, रत्नों और कांच से गढ़े गए सुंदर आभूषणों की सजावट और उल्लेखनीय स्वर्ण पत्रक का काम है।
वीथिका
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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