ज्वाब नही पिय आवई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग भैरव


ज्वाब नही पिय आवई, क्यौ कहाँ ठगाने।
मै तबही की बकति हौ, कछु आजु भुलाने।।
हाँ नाहीं नहि कहत हौ, मेरी सौ काहै।
आए क्यौ चकित भए, मोकौ रिस दाहै।।
कहाँ रहे कासौ बन्यौ, तहँई पगु धारौ।
'सूर' स्याम गुन रावरे, हिरदय न बिसारौ।।2487।।

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