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पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व
राग जंगला - ताल कहरवा
जो परतन्त्र सदा प्रिय-सुख के जो न कदापि स्वतन्त्र। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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राग जंगला - ताल कहरवा
जो परतन्त्र सदा प्रिय-सुख के जो न कदापि स्वतन्त्र। |