विषय सूची 1 पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार 1.1 श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ 3 संबंधित लेख पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान राग जंगला - ताल कहरवा जय राधे, जय जय राधे। जय राधे, जय जय राधे॥ रावल में छायौ आनंद। प्रगटी राधा आनँद-कंद॥-जय० नंदीसुर तें आये नंद। लीन्हे सँग उपनंद, सनंद॥-जय० जसुदा मैया रोहिनि संग। दाऊ-कान्हा लिये उछंग॥-जय० रैंदा-पैंदा, तोक-सुदाम। मधुमंगल, मनसुख, सुखराम॥-जय० दधि-माखन कौ लै उपहार। पहुँचे सब सज-सज सिंगार॥-जय० नृप बृषभानु मुदित भए देख। स्वागत कर मन हरष बिसेष॥-जय० जसुदा-रोहिनि भीतर जाय। मिली कीर्तिदा अति हरषाय॥-जय० लाली कौं अति लाड़ लड़ात। जसुदा-मन नहिं मोद समात॥-जय० लाला के मुख मोद अपार। निरख करत सब जै-जैकार॥-जय० टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंपद रत्नाकर वंदना एवं प्रार्थना • श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी • बाल-माधुरी की झाँकियाँ • श्रीराधा माधव लीला माधुरी • श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार • श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति • प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व • श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान • अभिलाषा वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः