जमुना पुलिनहिं रच्यौ 2 -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग मलार


स्यामा स्याम मिले ललितादिहिं, सुख पावत मनमोहनौ।
गावत राग मलार रागिनी गिरिधरन-लाल-छबि सोहनौ।।
पच रंग बर पाटपवित्रा, बिच बिच फोदा गोहनौ।
नाचति सखी सँगीत परस्पर, पहिरि पवित्रा सोहनौ।।
माथै मोरचंद्रिका राजै, बैजंती माल प्रसावनौ।
कुंडल लोल कपोलनि ढिग, मनु रविपरकास करावनौ।।
अधर अरुनछबि बज्रदंत दुति, ससि गुन रूप समावनौ।
मनिमय भूषन कंठ मुकतावलि, कोटि अनंग लजावनौ।।
सखी हरषि वृषभानुनंदिनी, झूलै सँग नंदलालनौ।
मनिमय नूपुर कुनित किंकिनी, कल कंकन झनकारनौ।।
ललिता बिसाषा बृजबधू झुलावै, सुरुचि सार कौ सारनौ।
गौर स्याम मिलि नीलपीत छवि, घन दामिनि सचारनौ।।
नान्ही नान्ही बूँदनि बरषै, मधुर मधुर धुनि घोरनौ।
तैसिहि हरी हरी भूमि सुहावनि, मोर सुरव नहि थोरनौ।।
जहँ त्रिबिधि मद सुगंध सीतल, पवन सु गवन सुहावनौ।
तहँ उठत बिहरत सुबास बहु, उड़त मधुप गन भावनौ।।
चढ़ि विमान सुर सुमन जु बरषै, जै जै धुनि नभ पावनौ।
स्यामा स्याम बिहार वृंदावन, सुरललना ललचावनौ।।
सुक सेष सारद नारदादिक, बिधि सिव ध्यान न पावनौ।
'सूरज' स्याम प्रेम हिय उमग्यौ, हरि-जस-लीला गावनौ।।2832।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः