मीराँबाई की पदावली
रूप राग
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ छाई
- ↑ नंद नंदन = श्रीकृष्ण। मोरन की चन्द्रकला = मोर नामक पक्षियों की पूंछ पर बनी हुई नीली सुंदर चित्तियों में झलकने वाले सुंदर चमकीले मंडल को चन्द्रिका वा कन्द्रकला कहते हैं। कुंडल...झलक = कुंडल पर पड़ा हुआ छल्लेदार बालों का प्रतिबिंब। मकर = मगर। कुंडल...मिलन आई = मकराकृत कुंडलों की प्रभा कपोलों पर फैली हुई है और उन ( कुंडल ) के ऊपर पड़े हुए अलकों के प्रतिबिंब उस ( प्रभा ) के अंतर्गत ऐसे जान पड़ते हैं मानो मीनों का समूह अपने सरोवर को त्याग कर मगरों से मिलने के लिए पहुँचा है। ( देखो - ‘कुंडल झलक कपोल पर, राजति नाना भाँति’ - नागरीदास। ) टौना = जादू। खंजन छौना = जिसके सामने खंजरीट भ्रमर, मीन और मृगशावक सभी हार मान जाते हैं। नटवर...घरे = नटों के समान काछनी काछे हुए हैं। विंब = विंबा फल के समान लाल। मंद = हलकी। मंद हाँसी = मुसक्यान। दमक = आभा, चमक। दाडि़मदुति = अनार की द्युति वा कांति। चपला = बिजली छुद घंट किंकिनी = घुँघरूदार करधनी। ( देखो - ‘छुद्र घंटिका कटितट सोभित’ - पद 3 में )। अनूप = अनुपम, अनोखी।
विशेष - 'कुंडल...मिलन आई' में उत्प्रेक्षालंकार 'कुटिल...मृगछौना' में प्रतिपालंकर एवं 'दसन... चपला सी' में उपमालंकार के उदाहरण देखे जा सकते हैं।
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