जन्म-मरण न दुःख सुख -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व

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राग सोहनी - ताल दादरा


जन्म-मरण न दुःख-सुख कुछ हैं नहीं जिसमें कभी।
बह रही रस-सुधा-धारा, नित्य प्लावित कर सभी॥
छा रहा आनन्द अनुपम, परम अतुल सदा वहाँ।
नाचते रहते निरन्तर नीलमणि नित हैं जहाँ॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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