जनम गँवायौ ऊआबाई -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग धनाश्री




जनम गँवायौ ऊआबाई।
भजे न चरन-कमल जदुपति के, रह्यौ बिलोकत छाई।
धन-जोबन-मद ऐड़ौ-ऐंड़ौ, ताकत नारि पराई।
लालच-लुब्‍ध स्‍वान जूठनि ज्‍यौं, सोऊ हाथ न आई।
रंच काँच-सुख लागि मूढ़-मति, कंचन-रासि गँवाई।
सूरदास प्रभु छाँड़ि सुधा-रस, विषय परम विष खाई।।328।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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