छाया तरुवर दोइ नहीं -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग सारंग




छाया तरुवर दोइ नही।
नैन दोइ ज्यौ स्रवन दोइ ज्यौ कहन सुनन कौ दोइ नही।।
दोइ न कंचन भूषन कबहूँ जल तरंग ज्यौ दोइ नही।
त्यौ ही जानि ‘सूर’ मन वचक राधा माधौ दोइ नही।। 6 ।।

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