श्री श्रीचैतन्य-चरितावली -प्रभुदत्त ब्रह्मचारी35. श्रीगयाधाम की यात्रा
अन्तः सलिता भगवती फल्गुनदी में जाकर इन्होंने पितरों के लिये बालुका के पिण्ड दिये। फल्गुका प्रवाह गुप्त है। उसका जल नीचे-ही-नीचे बहता है। ऊपर से बालू ढकी रहती है। बालू को हटाकर जल निकाला जाता है और यात्री उससे स्नान-सन्ध्यादि कृत्य करते हैं। प्रेत-गया, राम-गया, युधिष्ठिर-गया, भीम-गया, शिव-गया आदि सोलहों गया में निमाई पण्डित ने अपने साथियों के साथ जा-जाकर पितरों के पिण्ड और श्राद्धादि कर्म किये, सब स्थानों में दर्शन तथा श्राद्ध करके ये अपने ठहरने के स्थान पर लौट आये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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