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मूल फ़ाइल (3,477 × 2,384 चित्रतत्व, संचिका का आकार: 4.08 MB, माइम प्रकार: image/jpeg)
विवरण (Description) | हरिनाम संकीर्तन करते चैतन्य सम्प्रदाय के लोग |
अन्य विवरण | 'चैतन्य महाप्रभु' भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक थे। उन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी। भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में हिन्दू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृन्दावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। |
यह कृति सार्वजनिक क्षेत्र में है (कॉपीराइट मुक्त) क्योंकि इसके प्रकाशनाधिकार की अवधि समाप्त हो चुकी है। |
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फ़ाइल का इतिहास
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दिनांक/समय | अंगूठाकार प्रारूप | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
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सद्य | 19:07, 7 जुलाई 2015 | 3,477 × 2,384 (4.08 MB) | रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) |
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