चंद्रसखी 'कृष्णाश्रयी' शाखा की प्रसिद्ध लोक-गायिका थीं। इस कवयित्री का काल 17वीं या 18वीं शताब्दी अनुमानित किया जाता है।[1]
- इनके लिखे गीत मालवा, राजस्थान और ब्रज में बहुत प्रचलित हैं।
- चंद्रसखी के भजन स्त्रियों में बहुत प्रचलित व प्रसिद्ध हैं।
- इस गायिका के बनाये हुए अथवा उनके अनुकरण पर बने हुए एक प्रकार के लोक-गीत भी 'चंद्रसखी' कहे जाते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग 1 |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |संपादन: डॉ. धीरेंद्र वर्मा |पृष्ठ संख्या: 243 |
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज