चतुर्भुजदास के बारह ग्रन्थ उपलब्ध हैं, जो 'द्वादश यश' नाम से विख्यात हैं। सेठ मणिलाल जमुनादास शाह ने अहमदाबाद से इसका प्रकाशन कराया था। ये बारह रचनाएँ पृथक-पृथक नाम से भी मिलती हैं। 'हितजू को मंगल' , 'मंगलसार यश' और 'शिक्षासार यश' इनकी उत्कृष्ट रचनाएँ हैं। इनकी भाषा चलती और सुव्यवस्थित है। इनके बनाए निम्न ग्रंथ मिले हैं-
- द्वादशयश
- भक्तिप्रताप
- हितजू को मंगल
- मंगलसार यश
- शिक्षासार यश
चतुर्भुजदास के प्रसिद्ध पद
- मैया मोहि माखन मिसरी भावे -चतुर्भुजदास
- मंगल आरती गोपाल की -चतुर्भुजदास
- भोर भये जसोदा जू बोलैं -चतुर्भुजदास
- दान मांगत ही में आनि कछु कीयो -चतुर्भुजदास
- माखन की चोरी के कारन -चतुर्भुजदास
- मनमोहन अदभुत डोल बनी -चतुर्भुजदास
- रावल के कहे गोप -चतुर्भुजदास
- श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल -चतुर्भुजदास
- गोवर्धन गिरिसघनकंदरा -चतुर्भुजदास
- रत्न जटित कनक थाल -चतुर्भुजदास
- बैठे लाल फूलन की चौखंडी -चतुर्भुजदास
- गोबिंद चले चरावन गैया -चतुर्भुजदास
- फूलन की मंडली मनोहर -चतुर्भुजदास
- वारंवार श्रीयमुने गुणगान कीजे -चतुर्भुजदास
- प्राणपति विहरत श्री यमुना कूले -चतुर्भुजदास
- चित्त में श्री यमुना, निशिदिन जु राखो -चतुर्भुजदास
- महामहोत्सव श्री गोकुल गाम -चतुर्भुजदास
- हेत करि देत श्री यमुने वास कुंजे -चतुर्भुजदास
- जसोदा! कहा कहौं हौं बात -चतुर्भुजदास
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