घर गोरस जनि जाहु पराए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गौरी



घर गोरस जनि जाहु पराए।
दूध भात भोजन घृत अंमृत अरु आछौ करि दह्यौ जमाए।
नव लख धेनु खरिक घर तेरैं, तू कत माखन खात पराए।
निलज ग्‍वालिनी देतिं उरहनौ, वै झूठैं करि बचन बनाए।
लघु दीरघता कछू न जानैं, कहुँ बछरा कहुँ धेनु चराए।
सूरदास प्रभु मोहन नागर, हँसि–हँसि जननी कठ लगाए।।309।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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