गीत गोविन्द -जयदेव पृ. 17

श्रीगीतगोविन्दम्‌ -श्रील जयदेव गोस्वामी

श्रीश्रीगुरु-गौरांगौ जयत:

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प्रस्तावना

(त)

श्रीगीतगोविन्द की टीकाएँ

श्रीगीतगोविन्द की निम्नलिखित छह प्रसद्धि टीकाएँ प्राप्त होती हैं-

  1. रसमञ्जरी इसके प्रणेता महामहोपाध्याय शंकर मिश्र हैं। उन्होंने इस टीका का प्रणयन श्रीशालीनाथ की प्रेरणा से किया था।
  2. रसिकप्रिया - इस व्याख्या के प्रणेता कुम्भनृपति कुम्भकरण थे। ये मेवाड़ के राजा थे। इनके राज्यकाल का समय ईसा की चौदहवीं शताब्दी का प्रथम चरण माना जाता है।
  3. सञ्जीवनी - इसके प्रणेता वनमाली भट्ट हैं।
  4. पदद्योतनिका - इसके प्रणेता नारायण भट्ट हैं।
  5. बालबोधिनी - इसके प्रणेता श्रीपुजारी गोस्वामी हैं।
  6. दीपिका - इसके प्रणेता आचार्य गोपाल हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गीत गोविन्द -श्रील जयदेव गोस्वामी
सर्ग नाम पृष्ठ संख्या
प्रस्तावना 2
प्रथम सामोद-दामोदर: 19
द्वितीय अक्लेश केशव: 123
तृतीय मुग्ध मधुसूदन 155
चतुर्थ स्निग्ध-मधुसूदन 184
पंचम सकांक्ष-पुण्डरीकाक्ष: 214
षष्ठ धृष्ठ-वैकुण्ठ: 246
सप्तम नागर-नारायण: 261
अष्टम विलक्ष-लक्ष्मीपति: 324
नवम मुग्ध-मुकुन्द: 348
दशम मुग्ध-माधव: 364
एकादश स्वानन्द-गोविन्द: 397
द्वादश सुप्रीत-पीताम्बर: 461

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